दुकानदार मनुष्य जैसा ही दिखने वाला एक परजीवी प्राणी है | उसके पास दो आँख, दो कान, एक नाक और एक मुंह होता है | परन्तु वह अपने आँख और कान का प्रयोग अन्य मनुष्यों से बहुत कम तथा मुंह का प्रयोग उनसे बहुत ज्यादा करता है | उसके पास एक अलग प्रकार का मष्तिष्क होता है जिसका प्रयोग केवल धन कमाने के लिए होता है | सामान्यबोध एवं तर्कसंगत बातें उसकी समझ में बिलकुल नहीं आती |
दुकानदार के शरीर एवं उसकी बुद्धि का प्रत्येक अंश लोभ से भरा होता है | उसकी मांगों की सूचि आकाशगंगा के व्यास से लम्बी तथा प्रकाश की गति से तेज़ बढती हुई होती है | मान्यताओं के अनुसार जब सौ लोभी मनुष्य प्राण त्यागते हैं तब एक दुकानदार जन्म लेता है | अत्यधिक एवं कभी न तृप्त होने वाला लालच, अनंत असंतुष्टि तथा अकारण ही शिकायत करने की आदत एक दुकानदार के प्रमुख लक्षण हैं |
दुकानदार के मन में 'कंपनी' नामक प्रजाति के प्राणियों* के प्रति अत्यंत घृणा भरी होती है | परन्तु वह अपना भरण पोषण इसी प्रजाति से धन तथा उनके सुख चैन का भक्षण करके करता है | दुकानदारों की उत्तरजीविता के लिए उसके द्वारा कंपनियों का शोषण किया जाना अनिवार्य है | दुकानदार के अनुसार 'कंपनी' के पास धन का एक वृक्ष है जिसपर पुरातन काल में दुकानदार के पूर्वजों का अधिकार था | अतः दुकानदार इस बात का प्रतिशोध लेने के लिए सदैव उतारू रहता है |
दूकानदार की बुद्धिमता का स्तर अक्सर शून्य के निकट पाया गया है परन्तु वह बहुधा अपनी बुद्धिमता का आंकलन 'तीव्र' श्रेणी में करता है | इसी कारणवश वह अक्सर 'कंपनी के साहब' नामक प्राणियों को देखकर अनिमंत्रित उपदेशों की वर्षा कर बैठता है | प्रत्येक दुकानदार स्वयं को संसार का सर्वश्रेष्ठ व्यवसायी समझता है |
दुकानदार कभी कभी इश्वर तथा सदैव पैसों की पूजा करता है | उसके सभी सम्बन्ध पैसों पर ही आश्रित होते हैं | परन्तु अक्सर देखा गया है की दूसरों के पैसों के प्रति उसके मन में कोई सम्मान नहीं होता |
संसार की यह विडम्बना है कि कई मनुष्य इस प्राणी पर विशवास करते हैं तथा इसपर अपनी जरूरतों के लिए आश्रित होते हैं | अर्थव्यवस्था में भी इस प्राणी की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है | अतः इस परजीवी को सहन करना मनुष्यों के लिए अनिवार्य है |
हम मनुष्य इस बात की आशा करते हैं की भविष्य में इस प्राणी की बुद्धि में बढ़ोतरी हो तथा उसके मनोभाव में सुधार हो |
- एक विक्रण प्रबंधक
* कई लोग 'कंपनी' शब्द का प्रयोग अक्सर एक प्राणी के तौर पर करते हैं परन्तु ये प्राणी कौन है और कहाँ रहता है इसका पता अब तक किसी को नहीं चला है |
एक एकदम सही लिखा है बन्धु आपने,
ReplyDeleteइस परजीवी प्राणी से कई बार हमारा भी पाला पड़ा है|
और हमने भी हर बार यही पाया है की यह प्राणी कान का प्रयोग कम और मुह का प्रयोग ज्यादा करता है|